अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस हर साल 20 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन दुनिया में रहने वाले मानव जाति को याद दिलाता है कि मानव जाति का अंतिम लक्ष्य खुश रहना है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र हर वर्ग, धर्म, जाति, समुदाय और अन्य प्रकार के सभी संगठनों को अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस के लिए प्रेरित करता है ताकि सभी मनुष्य एक साथ मिलकर इस दिन को मनाएं और रोजमर्रा की परेशानियों और समस्याओं को एक तरफ रखकर कम से कम एक दिन खुलकर मुस्कुराएं।
अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस की पृष्ठभूमि
अब बात करते हैं अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस की शुरुआत की। 12 जुलाई 2012 को संयुक्त राष्ट्र महासभा की 66वीं बैठक हुई। इस बैठक के दौरान सदस्य देशों ने 20 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस मनाने का प्रस्ताव पारित किया। ऐसा इसलिए किया गया ताकि रोजमर्रा की परेशानियों से भरे इंसानों के जीवन को खुश रहने और खुशी से जीने की प्रेरणा मिल सके। अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस दुनिया भर के लोगों के जीवन में खुशी को प्राथमिकता देने के लिए मनाया जाता है। इस बात पर जोर दिया गया
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस की प्रेरणा भारत के पड़ोसी देश भूटान से ली गई है, क्योंकि भूटान दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जो 1970 के दशक से अपने राष्ट्र के विकास को मापने के लिए सकल घरेलू उत्पाद के बजाय सकल राष्ट्रीय खुशी को अपनाता है।

अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस 2025 की थीम
अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस 20 मार्च 2025 को मनाया जाएगा। इसके लिए हर साल की तरह इस साल भी एक थीम रखी गई है। इस थीम का नाम है ‘केयरिंग एंड शेयरिंग‘। इसी थीम के आधार पर देश और दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस 2025 मनाया जाएगा। इसी दिन नया वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स 2025 भी जारी किया जाएगा। केयरिंग एंड शेयरिंग की थीम के आधार पर देशों और दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस मनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है और लोगों को खुश और तनाव मुक्त रहने के टिप्स भी दिए जाएंगे।
“मुस्कान कोई साधारण रेखा नहीं, बल्कि उम्मीद, दया और इंसानियत का प्रतीक होती है। यह बिना कुछ कहे दिलों को जोड़ देती है, अंधेरे पलों को रोशन करती है और किसी के लिए उम्मीद की किरण बन सकती है। इसलिए मुस्कुराइए—क्योंकि आपकी मुस्कान किसी और की दुनिया बदल सकती है।”
विश्व खुशहाली रिपोर्ट मापने का आधार
अंतरराष्ट्रीय खुशहाली दिवस पर प्रकाशित होने वाली खुशहाली रिपोर्ट तैयार करने के लिए मुख्य रूप से 6 मानदंड चुने गए हैं। इनमें प्रति व्यक्ति जीडीपी, सामाजिक समर्थन, स्वास्थ्य, जीवन प्रत्याशा दर, स्वतंत्रता, उदारता और भ्रष्टाचार आदि शामिल हैं और यह रिपोर्ट दुनिया भर के लोगों के अनुभव के आधार पर तैयार की जाती है। इस सूचकांक में हर देश को उसके प्रदर्शन के आधार पर 0-10 के बीच नंबर दिए जाते हैं। फिर इन नंबरों के आधार पर रैंकिंग जारी की जाती है। इन 6 मानदंडों के पिछले तीन सालों का भी आकलन किया जाता है, जिससे वास्तविकता का पता चलता है, फिर यह रिपोर्ट तैयार की जाती है।
खुशी को प्रभावित करने वाले कारक
- मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य: अगर किसी भी व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति अच्छी नहीं है, तो स्वाभाविक है कि उस व्यक्ति के खुश रहने की संभावना बहुत कम होगी।
- सामाजिक जुड़ाव: अगर कोई व्यक्ति अपने रिश्तेदारों और समाज से जुड़ा रहता है, तो उसके खुश रहने की संभावना बढ़ जाती है।
- स्थिरता: आज की दुनिया में शिक्षा और रोजगार के अवसर मिलना स्वाभाविक है। अगर इन सभी चीजों में स्थिरता नहीं है, तो व्यक्ति के खुश रहने की संभावना बहुत कम है।
उठाए गए कदम:
- संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर साल 20 मार्च को खुशी बढ़ाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय खुशी दिवस मनाया जाता है ताकि लोग अपनी रोजमर्रा की परेशानियों और समस्याओं को अलग रखकर कम से कम एक दिन खुलकर मुस्कुरा सकें। इसके तहत संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय खुशी दिवस के दिन विश्व खुशी सूचकांक जारी करता है।
- यूनेस्को: यूनेस्को द्वारा हैप्पीनेस स्कूल प्रोग्राम नाम से एक मिशन शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत स्कूली शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को खुशी का महत्व भी समझाया जाता है।
खुश रहने के उपाय
- तनाव मुक्त: व्यक्ति को खुद को तनाव मुक्त रखने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि जब व्यक्ति तनाव में होता है, तो उसे कई तरह की बीमारियाँ होने की संभावना बढ़ जाती है।
- सामाजिक जुड़ाव: व्यक्ति को समाज से जुड़े रहना चाहिए क्योंकि समाज से जुड़े रहने से व्यक्ति में नकारात्मक विचार नहीं आते, जिससे खुश रहने की संभावना बढ़ जाती है।
- सकारात्मक सोच: व्यक्ति को कोशिश करनी चाहिए कि उसके मन में आने वाले विचार सकारात्मक हों और साथ ही अपने आस-पास रहने वाले लोगों को भी खुश रखने की कोशिश करनी चाहिए।
खुशी का असर
- खुश रहने से व्यक्ति का मन काम में ज्यादा लगता है और उसकी काम करने की क्षमता बढ़ती है
- अगर व्यक्ति खुश रहता है तो उसका शरीर भी स्वस्थ और तंदुरुस्त रहता है
- अगर व्यक्ति खुश रहता है तो उसके आस-पास के लोग या समाज के लोग अच्छा महसूस करते हैं
निष्कर्ष
संयुक्त राष्ट्र देश और दुनिया में खुशी को बढ़ावा देने के लिए हर साल 20 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय खुशी दिवस मनाता है, ताकि हम अपने जीवन में तनाव और समस्याओं को भूलकर मुस्कुराहट को बढ़ावा दें। दरअसल, किसी व्यक्ति के जीवन का अंतिम लक्ष्य खुश रहना होना चाहिए। इसी तरह, संयुक्त राष्ट्र विश्व खुशी रिपोर्ट भी जारी करता है, जिसमें दुनिया के लगभग सभी देशों का मूल्यांकन किया जाता है और मूल्यांकन के आधार पर उनकी रैंकिंग जारी की जाती है।
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