सागर से समृद्धि की ओर – सागरमाला परियोजना भारत के समुद्री विकास की नई कहानी

सागर से समृद्धि की ओर” – सागरमाला परियोजना भारत के समुद्री विकास की नई कहानी लिख रही है। 

भारत के पास बहुत से बंदरगाह मौजूद है और किसी भी देश या क्षेत्र के विकास में बंदरगाह अहम भूमिका निभाते हैं, वस्तुओं के आयात-निर्यात में बंदरगाहो की बहुत आवश्यकता होती है और बंदरगाह होने से माल की आवाजाही बहुत ही सुगम और सस्ता साधन होती है वर्ष 2017 में भारत सरकार के द्वारा बंदरगाहों के आधुनिकरण के लिए सागरमाला परियोजना शुरू की गई थी। 

 

        भारत के समुद्री क्षेत्र में अपार संभावनाएं है क्योंकि भारत के पास 7500 किलोमीटर का विशाल समुद्री सीमा है जिसमें भारत के 13 राज्यों के करीब 200 छोटे-बड़े बंदरगाह मौजूद है। इन्हीं बंदरगाहो का विकास करके भारत माल ढुलाई की लागत में कमी और लॉजिस्टिक सहयोग को बेहतर करके वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की मंशा से आगे बढ़ रहा है।

सागरमाला परियोजना के कुछ प्रमुख तथ्य :

  • सागरमाला परियोजना भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है भारत के समुद्री क्षेत्र में क्रांति लाने के उद्देश्य से इस योजना को शुरू किया गया था। 
  •  इसमें कुल 839 परियोजनाओं पर काम किया जाएगा जिसमें 5.79 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा ।
  •  इस योजना का उद्देश्य भारत के बंदरगाहों का आधुनिकरण और माल ढुलाई में लगने वाली लागत को कम करना है ।
  •  सागरमाला परियोजना के तहत भारत के 9 बंदरगाह अब विश्व के शीर्ष 100 बंदरगाहों में शामिल हो चुके हैं ।
  •  विशाखापट्टनम को शीर्ष 20 कंटेनर बंदरगाहों में स्थान मिला है जो भारत के बंदरगाहों के विकास को दर्शाता है।
  •  अब तक 272 परियोजनाओं को 1.41 लाख करोड रुपए के निवेश से पूरी की जा चुकी है।

सागरमला परियोजना 2.0 की पहल: 

  • हाल ही में सागरमाला परियोजना  2.0 लॉन्च किया गया है जो जहाज निर्माण मरम्मत और पुनर्चक्रण पर ध्यान केंद्रित करेगा। 
  • इसके लिए भारत सरकार ने 40000 करोड रुपए का बजट रखा है और अगले एक दशक में 12 लाख करोड रुपए के निवेश की योजना बनाई है ।

“I love the scents of winter! For me, it’s all about the feeling you get when you smell pumpkin spice, cinnamon, nutmeg, gingerbread and spruce.”

नई विधायिका और कानूनी सुधार: 

  • हाल ही में केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल के द्वारा संसद को नए समुद्री माल विधेयक 2024 के बारे में बताया और इस विधेयक को पारित भी करवाया, जो की 100 साल पुराने अधिनियम की जगह लेगा।
  • यह विधेयक माल भेजने वालों के बीच बेहतर तालमेल और विश्वसनीयता को बढ़ावा देगा ।
  • भारत सरकार में बंदरगाह, पोर्ट परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा “इस विधेयक को औपनिवेशिक मानसिकता को त्यागने की दिशा में बड़ा कदम बताया”।

सागरमाला परियोजना का मुख्य उद्देश्य :

  1. बंदरगाहों का विकास 
  • सागरमाला परियोजना के तहत भारत सरकार अपने बंदरगाहों का आधुनिकरण करने का प्रयास कर रही है।
  • इस परियोजना के तहत भारत अपने बंदरगाहों की गहराई को बढ़ाना चाहता है जिससे मालवाहक जहाज (Cargo Ships) को आसानी से बंदरगाहों पर लाया जा सके। 
  • डिजिटल और आधुनिक तकनीक का उपयोग करके बंदरगाहों को वैश्विक स्तर पर तैयार करना है। 
  1. कनेक्टिविटी में सुधार 
  • सड़क, रेलवे, समुद्री जलमार्गों और पाइप लाइनों को बंदरगाहों से सीधा जोड़ना है, जिससे वस्तुओं और माल की ढुलाई तेजी से की जा सके।
  • रेलवे फ्रेट कॉरिडोर और हाईवे नेटवर्क के माध्यम से उद्योगों और कारखाने तक माल को पहुँचाने की लागत को कम किया जा सके।
  1. तटीय आर्थिक क्षेत्र का विकास 
  • सागरमाला परियोजना से भारत के समुद्री तट का विकास होगा जिससे नए उद्योगों और लॉजिस्टिक्स में तेजी से विकास होगा। 
  • सागरमाला परियोजना से भारत मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट हब बनने की दिशा में और आगे बढ़ेगा।
  1. तटीय समुदायों का विकास 
  • तटीय क्षेत्र में रहने वाले मछुआरों और छोटे उद्योगों के लिए नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे ।
  • सागरमाला परियोजना न केवल लॉजिस्टिक्स और व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा दे रही है, बल्कि समुद्री पर्यटन (Marine Tourism) के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

सागरमाला परियोजना के लाभ:

  • माल ढुलाई लागत में कमी :इस परियोजना के पूरे होने से भारत में माल ढुलाई में आने वाली लागत को कम किया जा सकेगा।
  • बंदरगाहों की क्षमता में वृद्धि : सागरमाला परियोजना से भारत के बंदरगाहों की क्षमता में वृद्धि होगी जिससे भारत वैश्विक स्तर पर मजबूत होगा। 
  • निर्यात में बढ़ोतरी : किसी भी देश के विकास के लिए उसे देश की निर्यात क्षमता बहुत ही मायने रखती है इस योजना से भारत की निर्यात क्षमता में बढ़ोतरी होगी।
  • रोजगार के अवसर : इस परियोजना में लगभग 8 लाख करोड रुपए का निवेश किया जा रहा है जिससे बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
  • पर्यावरण संतुलन : इस परियोजना से भारत में बढ़ रहे पर्यावरण समस्याओं में कमी आने की संभावना भी दिखती है क्योंकि इस परियोजना से सड़क और रेलवे मार्ग से होने वाली धुलाई पर दबाव को काम किया जा सकेगा।
  • साख क्षमता में बढ़ोतरी: इस परियोजना से भारत वैश्विक स्तर पर काफी मजबूत होगा और विश्व के शीर्ष देशों को प्रतिस्पर्धा देगा, जिससे भारत की साख में वृद्धि होगी।

सागरमाला परियोजना की चुनौतियां:

  1. पर्यावरणीय चुनौती:

 इस परियोजना से समुद्री इकोसिस्टम की प्रभावित होने का खतरा है लेकिन भारत सरकार इसे बचाने के लिए ग्रीन पोर्ट बनाने की योजना बना रही है।

  1. निजी निवेश की कमी:

 सागरमाला परियोजना को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए भारत सरकार निजी निवेश (Private Investment) और वैश्विक सहयोग (Global Collaboration) को बढ़ावा दे रही है।

  1. कुशल श्रमिकों की कमी:

 भारत सरकार स्किल इंडिया योजना के तहत सीपोर्ट ट्रेनिंग और स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम की मदद से श्रमिकों को प्रशिक्षण दे रही है।

निष्कर्ष 

सागरमाला परियोजना भारत के समुद्री व्यापार और तटीय विकास के लिए एक ऐतिहासिक पल है परियोजना के माध्यम से भारत को वैश्विक लॉजिस्टिक हब बनाने, निर्यात को बढ़ावा देने और देश की आर्थिक प्रगति को मजबूत करने में बहुत ज्यादा मदद मिलेगी, अगर इसे सही ढंग से लागू किया जाता है तो भारत के बंदरगाह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ और आधुनिक बंदरगाहों की श्रेणी में शामिल होंगे।

Balram Yadav

Writer & Blogger

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